एक निर्वात नली है जिसमें चार सक्रिय एलेक्ट्रोड होते हैं।
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इलेक्ट्रॉनिकी में निर्वात नली एक ऐसी युक्ति है जिसका कार्य निर्वात में विद्युत धारा के प्रवाह पर आधारित है।
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प्रथम फ्लिप-फ्लॉप परिपथ का आविष्कार सन १९१८ में हुआ था जो निर्वात नली का उपयोग करके बनाया गया था।
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यदि गैस की थोड़ी सी मात्रा निर्वात नली में पहुँचा दी जाए तो तापायनिक उत्सर्जन काफी बढ़ जाता है।
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प्रथम फ्लिप-फ्लॉप परिपथ का आविष्कार सन १९१८ में हुआ था जो निर्वात नली का उपयोग करके बनाया गया था।
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प्रथम द्विमानित्र (फ्लिप-फ्लॉप) परिपथ का आविष्कार सन १९१८ में हुआ था जो निर्वात नली का उपयोग करके बनाया गया था।
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उदाहरण के लिए हाइड्रोजन की न्यूनतम मात्रा भी एक निर्वात नली में पहुँचने पर तापायनिक धारा को 105 गुना बढ़ा सकती है।
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इस नियंत्रक ग्रिड का कार्य भी लगभग निर्वात नली के ग्रिडनियंत्रण सा ही है, परंतु एक बहुत बड़ी विभिन्नता दोनों के नियंत्रण में है।
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ज्ञात रहे कि यदि किसी निर्वात नली (Vacuum Tube) में दो इलेक्ट्रोड लगाकर उनके बीच उच्च विभव (High Potential) दिया जाये तो ऋणात्मक इलेक्ट्रोड यानि कैथोड से विशेष प्रकार की अदृश्य किरणें निकलती हैं जिन्हें कैथोड किरणें कहा जाता है।